Saturday 7 October 2017

प्रेम और विवाह का क्या संबंध हे ?प्रेम से तो विवाह निकल सकता है लेकिन विवाह से प्रेम नहीं निकलता और न हीं निकल सकता है प्रेम परमात्मा की व्यवस्था है और विवाह आदमी की व्यवस्था विवाह सामाजिक संस्था है प्रेम प्रकृति का दान, प्रेम तो प्राणों के किसी कोने में अनजाने पैदा होता है
the master

Monday 2 October 2017

प्रेमी बनो प्रेम बाटो प्रेमी व्यक्ति परमात्मा को नहीं खोजता परमात्मा उसे खोजता हुआ आता है
प्रेम लौटता ही है। हजार गुना होकर लौटता है।
इसकी भी फिकर मत करो कि
इस आदमी को दिया तो यही लौटाए।
कहीं से लौट आएगा, हजार गुना होकर लौट आएगा,
तुम फिकर मत करो। प्रेम लौटता ही है।*

अगर न लौटे,
तो सिर्फ एक प्रमाण होगा कि तुमने दिया ही न होगा। अगर न लौटे, तो फिर से सोचना—तुमने दिया था?

या सिर्फ धोखा किया था?
देने का दिखावा किया था या दिया था?
अगर दिया था तो लौटता ही है।
यह इस जगत का नियम है।

जो तुम देते हो, वही लौट आता है—
घृणा तो घृणा,
प्रेम तो प्रेम, अपमान तो अपमान,
सम्मान तो सम्मान। तुम्हें वही मिल जाता है
हजार गुना होकर, जो तुम देते हो।

यह जगत प्रतिध्वनि करता है,
हजार—हजार रूपों में।
अगर तुम गीत गुनगुनाते हो तो गीत लौट आता है।
अगर तुम गाली बकते हो तो गाली लौट आती है।
जो लौटे, समझ लेना कि वही तुमने दिया था।
जो बोओगे, वही काटोगे
एस धम्मो सनंतनो
                  MY MASTER

Sunday 1 October 2017

प्रेम है किसी को सम्मान देना अत्यधिक आदर देना प्रेम एक गहरी चाहना है और जिसे तुम प्रेम करते हो उसकी उपस्थिति मात्र से पूर्ण रुप  से प्रसन्न रहना ही प्रेम है इसके अतिरिक्त और प्रेम होता क्या है
              THE MASTER
देह है यंत्र ! दो देहों के बीच जो संबंध होता है वह है यांत्रिक ! सेक्स यांत्रिक है ! काम वासना यांत्रिक है ! जैसे दो मशीनों के बीच घटना घट रही हो !



तो देह है यंत्र ! देह से देह की यात्रा यांत्रिक-कामवासना, सेक्स !

मन है मंत्र ! मन से मन की यात्रा मांत्रिक ! जिसको तुम साधारणत - प्रेम कहते हो जबकि प्रेम देह से ऊपर है !
 दो आकाशों का मिलन ! जब दो आत्मायें मिलती हैं न देह, न मन, न तंत्र, ऊंचे से ऊंची घटना है प्रेम

 और फिर कोई ऐसे भी जी सकता है कि हर हवा का झोंका परमात्मा का झोंका मालूम पड़े ! और हर किरण उसकी ही किरण मालूम पड़े, और हर पक्षी की गुनगुनाहट उसके ही वेदों का उच्चार, उसके ही कुरान का अवतरण बहुत थोड़े से धन्यभागी हो पातेहै  जिन्हें यह सुनाई दे दिखाई दे आँखे खोलो और देखो परम मिलन घट रहा है ! परम उत्सव हो रह है महोत्सव हो रहा है हर क्षण....
            the master

Saturday 30 September 2017

सौंदर्य क्या है प्रेम
आनंद क्या है प्रेम
दुनिया में शांति है क्यों क्योकि प्रेम हे
पति पत्नी इतने सालो तक भी साथ रहते हुए कभी बोर नहीं हुए क्यों    प्रेम के कारन 
और हम प्रेम से ही भागते हे 
सोचने जेसी बात है ना

Thursday 28 September 2017

 जब भी कभी तुम अत्याधिक दुख से गिरे रहो जब कुछ भी नहीं सूझ रहा हो तब  एक क्षण के लिए उस पल को याद करना जिस पल तुमने किसी भी प्रकार से प्रेम का अनुभव किया हो किसी से भी किया हो कोई फर्क नहीं पड़ता स्त्री हो पुरुष हो बच्चे हो पेड़ हो पहाड़ हो जिससे भी किया हो और तुरंत बरस पड़ता है आनंद जैसे मेघ बरस रहे हो प्रेम अपने आप में परमात्मा का दिया हुआ अनुपम तोहफा है जो प्रेम में मरा उसकी फिर कोई मृत्यु नहीं जो प्रेम के बिना जिया वह जिया ही नहीं .
                                may master

प्रेम और विवाह का क्या संबंध हे ?प्रेम से तो विवाह निकल सकता है लेकिन विवाह से प्रेम नहीं निकलता और न हीं निकल सकता है प्रेम परमात्मा की व्...