प्रेम लौटता ही है। हजार गुना होकर लौटता है।
इसकी भी फिकर मत करो कि
इस आदमी को दिया तो यही लौटाए।
कहीं से लौट आएगा, हजार गुना होकर लौट आएगा,
तुम फिकर मत करो। प्रेम लौटता ही है।*
अगर न लौटे,
तो सिर्फ एक प्रमाण होगा कि तुमने दिया ही न होगा। अगर न लौटे, तो फिर से सोचना—तुमने दिया था?
या सिर्फ धोखा किया था?
देने का दिखावा किया था या दिया था?
अगर दिया था तो लौटता ही है।
यह इस जगत का नियम है।
जो तुम देते हो, वही लौट आता है—
घृणा तो घृणा,
प्रेम तो प्रेम, अपमान तो अपमान,
सम्मान तो सम्मान। तुम्हें वही मिल जाता है
हजार गुना होकर, जो तुम देते हो।
यह जगत प्रतिध्वनि करता है,
हजार—हजार रूपों में।
अगर तुम गीत गुनगुनाते हो तो गीत लौट आता है।
अगर तुम गाली बकते हो तो गाली लौट आती है।
जो लौटे, समझ लेना कि वही तुमने दिया था।
जो बोओगे, वही काटोगे
एस धम्मो सनंतनो
MY MASTER